इंदौर. बूचड़खाने धरती के नर्क हैं। राम, कृष्ण, बुद्ध, महावीर और गांधी के देश में बूचड़खानों का होना भारत के माथे पर कलंक है। व्यापार में हिंसा एक बार क्षम्य हो सकती है लेकिन हिंसा का व्यापार कतई क्षम्य नहीं हो सकता। कत्लखाने खोलना हिंसा का व्यापार है।
मुनिश्री तरुणसागरजी महाराज